Sacha Nyay Moral Story in Hindi

Sacha Nyay Story in Hindi

ए एक Moral Story in Hindi यानि नैतिक कहानी हिंदी में हैं। एक जमाने में विष्णुपुर नाम का एक गांव था और उस गांव में विनोद नाम का एक किसान रहता था जो बहुत ही पुण्यवान था। उसने अपने जीवन में किसी के साथ कभी कुछ बुरा नहीं किया था। कभी किसी से झूठ नहीं बोला था। हर किसी के लिए ईश्वर पर विश्वास रखता था। विनोद का पितांबर नाम का एक बेटा था जिसके दो बच्चे थे। एक बेटा और एक बेटी पितांबर भी अपने पिता की तरह ही सब का सम्मान करता। सब से प्रेम करता और पिता की तरह ही दान धर्म भी करता था।

पर कुछ ही दिनों में उनके गांव में अकाल पड़ गया। खाने-पीने के लाले पड़ गए और सब लोग बहुत दुखी थे और महामारी फैलने की वजह से काफी लोग मर जाते हैं। उसमें पितांबर की पत्नी और बेटी भी विषैले बुखार से मर जाते हैं। सितंबर को भी बहुत बुखार आता है, लेकिन वह मौत से लड़ कर बच जाता है। विनोद की उम्र और बढ़ जाती है। वह अपने बेटे और पोते को संभालता है। सितंबर को बुखार आने की वजह से कमजोरी आ जाती है।

Sacha Nyay Stories in Hindi

उसे खाने की भी ताकत नहीं रहती है। वह सोचता है कि कहीं मजदूरी करूंगा तो घर में कुछ राशन आ जाएगा। इसलिए वह मजदूरी करने चल पड़ता है। यह क्या है बेटा? तुम कितने कमजोर हो गए हो। मजदूरी करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इस हालत में तुम यह कैसे कर पाओगे। मै ही जाकर कहीं पर भीख मांग कर थोड़े चावल लेकर आता हूं, लेकिन पितांबर अपने पिता की बात अनसुनी कर देता है और कहता है कि पिताजी अभी मैं जिंदा हूं ना, आप क्यों भीख मांगेंगे अभी-अभी फसल का काम शुरू हुआ है।

काम करने वालों को काम मिलेगा ही। मैं जाकर कोशिश करता हूं और फिर पितांबर दूसरे मजदूरों के साथ लाइन में खड़ा हो जाता है। दूसरे मजदूर भी उसी की तरह कमजोर थे और शायद इसलिए उन्हें काम नहीं मिल रहा था। उनके जिस्म में जान तो थी लेकिन जिन हाथों ने बेलचा संभाला था, वह हाथ कमजोरी से कांप रहे थे। ऐसे इंसान को भला कौन काम देगा?

शाम तक कई खेतों के चक्कर लगाकर पितांबर वापस अपने गांव लौट जाता है। फिर गांव के किसी घर से भीख मांग कर चावल लेकर वो अपने घर पर अंधेरा होने पर पहुंचता है। उसे देखकर पिताजी कहते हैं तुमने मेरी बात नहीं मानी ना तुम्हें कहीं भी काम नहीं मिलेगा और अगर मिल भी गया तो तुम कर नहीं पाओगे।

Sacha Nyay Hindi Moral Stories

कल हम दोनों साथ में जाकर भीख मांगेंगे। नहीं पिताजी इस बारे में आप ज्यादा मत सोचिए। आज चावल का पानी पीकर सो जाते हैं। कल अच्छा खाने के लिए मैं कमाऊंगा। लगता है तुम पागल हो गए हो। हमारी चावल खरीदने की औकात नहीं है और तुम अच्छे खाने की बात कर रहे हो, कहां से मिलेगा। तुम सपने देख रहे हो क्या? पिताजी उसे ऐसा कहते हैं जब मैं बीमार था तब मेरे पिताजी ने भीख मांगी थी।

यह बात जानकर पितांबर बहुत दुखी हो जाता है। उसके शरीर में काम करने की ताकत थी ही नहीं और पिताजी चावल का पानी पीकर सो जाए यह उसे सहन नहीं हो रहा था। इसलिए वह गलत काम करने का सोच लेता है। उसका बेटा गलत काम करने वाला है इस बात का विनोद को शक होता है और उसी बात से उसका मन बहुत दुखी हो जाता है और उस रात उसे नींद भी नहीं आती है।

विनोद को आधी रात को कोई आवाज आती है और वो उठकर यहां वहां देखता है। घर का दरवाजा खुला हुआ होता है और पितांबर अपनी जगह पर नहीं होता है। रात के 1:00 बज रहे थे। तभी गाय के तबेले से उसे आवाज सुनाई देती है। वो चुपचाप जाकर तबेले में जा कर देखता है। पीतांबर वहां बकरा काट कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े बना रहा था। मेरे बेटे ने कभी कोई गलत काम नहीं किया, लेकिन आज इतना बड़ा पाप कर रहा है।

Sacha Nyay Hindi Kahaniya

मैंने तुझे ऐसा बनाया ए सोचकर मैं खुद पर आरोप लगाऊं या फिर ऐसा पाप करने के लिए मैं इसे दंडित करु। हे भगवान हमारी इस तरह से अग्नि परीक्षा क्यों ले रहे हो। ए सोचकर और दुखी होकर वो घर में लौट आता है और जहां लेटा था वही लेट जाता है।

मेरे बेटे के इस पाप के लिए उसे जरूर दंड मिलेगा। ए सोचकर विनोद और दुखी होता है। पर उसका बेटा ए काम अपने पिता के लिए कर रहा था जिन्हें वो भूखा नहीं देख पा रहा था। वो अपने बेटे को इस बात के लिए क्या दंड दे उसे समझ नहीं आ रहा था। पितांबर बकरे का मांस लेकर झोपड़ी के मचान पर रख देता है।

फिर हाथ पैर धो कर वापस अपनी जगह पर आ कर सो जाता है। विनोद सुबह जल्दी उठकर अपने बेटे पितांबर को जगा कर कहता है। चलो बेटा साथ में चलकर भीख मांगते हैं। जल्दी निकलेंगे तो हमें भीख ज्यादा मिलेगी। आज भीख मांगने की जरूरत नहीं है पिताजी मैंने कल रात आपसे कहा था ना कि आपको अच्छा खाना खिलाऊंगा। आज हम लोग मांसाहार खाएंगे। रात को हम दोनों एक ही साथ सोए थे तो फिर अचानक से मांस कहां से आएगा। तुझसे मेरी भूख देखी नहीं गई इसलिए तूने कोई गलत काम तो नहीं किया ना?

Short Stories in Hindi

ऐसे गलत काम करके खाने से तो अच्छा है कि मैं जीते जी मर जाऊं। भूख मिटाने के लिए तु कोई गलत काम नहीं करेगा मुझे ऐसा वचन दे तु। ठीक है अब से आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा ही करूंगा। लेकिन आज भीख मांगने की बात मत करिए। मैंने पहले ही मांस निकाल कर रख दिया है। आज और कल पेट भर कर खाएंगे। वो खत्म हो जाने के बाद मैं कोई काम ढूंढ लूंगा। तब तक मुझमे ताकत भी आ जाएगी।

उसके बाद मुझे काम भी मिल जाएगा। बस इस बार मेरी बात मान लीजिए पिताजी। पीतांबर विनोद से बहुत बिनती करता है पर विनोद पर कोई असर नहीं पड़ता है और वो कहता है क्या कहा तूने मांस रखा है? तूने कहा से पैसा कमाया कहा रखा है? रात को तू मेरे साथ ही सोया और अभी भी तुझे मैंने हीं जगाया है। तो ऐसे में मांस कहां से आ गया। बेवकूफ कहीं के तू मुझे धोखा देना चाह रहा है। रात को हमारे घर के बाहर जो दुरई के गाय का तबेला है, वहा मैंने देखा था कि तू वहां पर एक बकरा काट रहा था।

विनोद इस तरह से उस पर चिलता है और पिताजी की बात सुनकर पितांबर रोने लगता है। मुझे माफ कर दीजिए पिताजी। मैं आपको भूखा बिल्कुल नहीं देख सकता। अगर आपकी इच्छा नहीं है तो मुझे ए मांस नहीं चाहिए। चलिए हम साथ चलकर गांव में भीख मांगते हैं। वैसे तो बेटा बहुत उदास होकर कहता है पर जो नुकसान होना था, वो तो हो चुका था क्योंकि घर के अंदर बाप बेटे बात कर रहे थे। वो घर के बाहर खड़े सिपाही सुन लेते हैं।

Top 10 Moral Stories in Hindi

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उस दिन ऐसा हुआ था की सुबह सुबह जब दुरई के चरवाहे को पता चला था कि एक बकरा गायब है, वो अपने मालिक को बता देता है और दुरई तुरंत ही गांव के मुखिया से जाकर कहता है मेरे गाय के तबेले से कोई एक बकरा चुरा कर ले गया है। मुखिया जी आप तुरंत पता लगवाइये कि मेरा बकरा कौन चुरा कर ले गया। उसकी बात सुनकर गांव का मुखिया अपने सिपाही से कहता है कि दुराई के तबेले के आसपास के घरों में जाकर वो बकरा ढूंढे। तब वो सिपाही विनोद के घर पहुंचते हैं और विनोद की अपने बेटे से हुई बात सुन लेते हैं।

फिर सिपाही जब तबेले में जाकर ढूंढते हैं तो मचान पर उन्हें बकरे का मांस मिलता है और वो सोचते हैं कि चोर भी मिल जाएगा वो काफी देर तक बकरे की खाल ढूंढते हैं। पर वो उन्हें मिलती नहीं। पर विनोद की कहीं बात पितांबर ही चोर है। वो बात मान कर वो पितांबर के हाथों में हथकड़ी पहना कर अपने साथ ले जाते हैं। दुरई बहुत ही कठोर मनुष्य था और उसके मन में जरा भी दया नहीं थी।

बकरा किसने चुराया ए सिपाहियों के मुंह से जानकर दुरई कहता है भैया इस पितांबर को शहर ले जा कर न्यायाधीश के सामने खड़ा करके अच्छे से पूछताछ करवाईए और दंड दिलवाइए तभी इन चोरो की अकल ठिकाने आएगी। इस पर दया दिखाकर छोड़ना बिलकुल उचित नहीं होगा क्योकि जो इसने चोरी की उसके लिए कोई और सबूत चाहिये ही नहीं क्योकि इसके पिता ही गवाह है सुना हैं विनोद बहुत ही ईमानदार है। ए बात कितनी सच है यह भी पता चल जाएगा। दुरई की बातें सुनकर गांव के मुखिया पीतांबर और उसके पिता विनोद को और जिन्होंने मांस को छुपाया हुआ देखा था।

Long Moral Stories in Hindi

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सब लोगों को शहर के न्यायाधीश के सामने जाकर पेश करते हैं। शहर के न्यायाधीश बहुत ही दयालु थे। वो अपने सहायक से कहते हैं कि लोगों को खाने के लाले पड़े है ए बात मैं जानता हूँ सिर्फ अकाल ही नहीं विषैला बुखार भी आया है। लोग पूरी तरह से टूट चुके हैं। ऐसी परिस्थिति में अगर खाने के लिए कोई चोरी भी करे तो उसे मैं सजा नहीं दे पाऊंगा। लेकिन पितांबर के ऊपर लगे आरोपों को जानकर मुझे बहुत ही दुख हुआ। इस बात के लिए क्योंकि उसने जो चोरी की उस बात के लिए गांव में बहुत सारे गवाह है।

सिर्फ इतना ही नहीं एक प्रतिष्ठित व्यक्ति ने आरोप लगाया है और वो चोर को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाना चाहता हैं। अगर मैं ए कहता हूं कि चोरी के लिए सजा देना उचित नहीं है तो न्यायालय में उसके पिता से ही उस छोरी के लिए गवाही दिलाने की जिद पकड़ कर बैठा है। देखिए इस परिस्थिति में उसे उचित दंड दिलवाना ही आपका कर्तव्य है। न्यायाधीश को किसी पर दया नहीं करनी चाहिए। पितांबर के मामले में बहस शुरू होती है।

दुरई अपनी बात आगे रखता है, उसका चरवाहा कहता है कि कल रात जो चोरी हुई है, मैं उसके विषय में गवाही दूंगा। गांव के मुखिया के सिपाही बाप और बेटे के बीच हुई बात को सुनकर तबेले में मचान पर रखे हुए मांस के बारे में बताने वाले थे। पर दुरई कहता है कि इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विनोद की बात है। पहले इस आदमी से गवाही दिलवाओ और दुरई अपने मूछों को ताव देता है। मुझे वचन दो कि तुम्हारे बेटे ने जो पाप किया वो तुम्हें मालूम है।

Moral Stories for Childrens in Hindi

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न्यायाधीश विनोद से ऐसा कहते हैं। महाशय मेरे बेटे को दंड मत दीजियेगा वो मेरा एक लौता बेटा हैं उसने आज तक अपने मुंह से कभी किसी को गाली तक नहीं दी और ना ही कभी कोई गलत काम किया है। उसे क्षमाँ करके छोड़ दीजिए। पहले से ही हमारे घर में अन्न के लाले पड़े हैं। इतना ही नहीं इसकी पत्नी और इसकी बड़ी बच्ची विषैले बुखार से मर चुके हैं। ए भी लगभग मरते मरते बचा हैं। मैं और मेरा 2 साल का एक पोता हम दोनों को भूख से तड़पते हुए ए देख नहीं पाया और मजदूरी करने के लिए गया।

लेकिन, आप खुद ही देख लीजिए, ए कितना कमजोर है। ऐसे में इसे काम कौन देगा। हम लोग भूखे ना मरे इसलिए इसने ऐसा किया। अब से ए ऐसा कोई गलत काम नहीं करेगा ऐसा इसने मुझे वचन दिया है। हमने उस बकरे के मांस को छुआ तक नहीं। और जब हम भीख मांगने के लिए निकल रहे थे, तभी सैनिकों ने इसे पकड़ लिया। इसे सजा मत दीजियेगा।

भगवान हमें पहले ही बहुत दुख दे चुका है। अब इस बुढ़ापे की उम्र में मुझे और तकलीफ मत पहुंचाएगा। इसने भले ही उस बकरे की चोरी की हैं और ए मैं कभी नहीं भूलूँगा। मैंने इसे उस बकरे को काटते हुए खुद अपनी आँखो से देखा हैं लेकिन अब ए ऐसा कोई काम नहीं करेगा। कृपया इसकी गलती को क्षमा कर दीजिए। और फिर विनोद रोने लगता हैं। दुरई हसते हुए न्यायधीश की ओर देखता है।

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी

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पर न्यायालय में जितने भी लोग खड़े थे, उन्हें विनोद पर दया आती है और वो दुरई को देखकर अजीब सा मुंह बनाते हैं। न्यायाधीश थोड़ा विचार करते हैं और फिर दुरई को देख कर कहते हैं। तुम्हारे आरोप के मुताबिक यहां गवाह नहीं है। तुम्हारे बकरे की चोरी इसी ने की है। इस बात के लिए कोई और गवाह है? जब न्यायधीश ऐसा पूछते हैं तो दुरई उनको जवाब देता है कि आपने इसके पिता की गवाही सुनी ना अब आपको और कौन सी गवाही चाहिए?

विनोद के घर से मांस मिला हैं कैसे मान ले की ए तुम्हारे बकरे का ही मांस हैं। हो सकता है तुम्हारा बकरा कही चरने गया हो या झोपड़ी में से गायब हो गया हो या कोई उसे भगाकर ले गया होगा। इनके पास जो मांस हैं उसे देखकर वो तुम्हारे बकरे का मांस है कैसे पहचानोगे? तुम्हारे बकरे से जुड़ा कोई चिन्ह चाहिए जो बकरे की खाल पर होता है। वो खाल कहा हैं? न्यायधीश के इस सवाल पर दुरई अपने चरवाहे की ओर देखता है और चरवाहा सिपाहियों की ओर देखता है।

जब कहीं से कोई जवाब नहीं मिलता तो दुरई न्यायधीश से कहता है कि मैंने हर जगह ढूँढा मगर खाल मुझे कहीं नहीं मिली, खाल इसीने कहीं छुपा दी होगी। आप इसे कड़ी से कड़ी सजा दीजिए। ऐसा नहीं हो सकता। खाल मिलने तक मैं पितांबर को दोषी नहीं मान सकता। तुम ए साबित करो कि उनके घर से जो मांस मिला हैं वो तुम्हारे बकरे का हैं। ए वो मांस कही ओर से भी तो ला सकता है ना। इसलिए पितांबर उस मांस का अपने घर में उपयोग कर सकता है।

जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी

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इस बात के लिए इसके घर के किसी भी सदस्य पर किसी भी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं है और आप बाप बेटे दोनों आप यहां से जा सकते हैं। न्यायाधीश ऐसा फैसला सुनाते हैं। फिर बाप बेटे दोनों न्यायधीश को नमस्ते करके वहां से खुशी-खुशी निकल जाते हैं। उसके बाद न्यायाधीश सिपाहियों से कहते हैं कि सुनो सिपाहियों दुरई को अगर न्याय दिलाना है तो बकरे की खाल का पता लगाना बहुत जरूरी है। इसलिए तुरंत जा कर यह काम करो। न्यायधीश सिपाहियों को ऐसा आदेश देते हैं और दुरई को हारकर न्यायधीश का फैसला मानना पड़ता है।

फिर वो भी वहां से निकल जाता है। सब लोगों के जाने के बाद न्यायधीश अपने सहायक से कहते हैं कि तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्त सही समय पर सही सलाह देकर तुमने मेरा काम आसान कर दिया। अगर तुमने उस बकरे की खाल को छुपाया ना होता तो इस दुरई से उन्हें बचाना बहुत मुश्किल था। अगर मेरा मन बदला ना होता तो उस पितांबर को मुझे कड़ी सजा देनी पड़ती और उसे दंड देकर मैं जीवन भर अफसोस करता। सही मायने में देखा जाए तो पितांबर को दंड मिलना चाहिए था।

मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूडेंट्स

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लेकिन उसकी परिस्थितिने उससे ऐसा पाप करवा दिया। जबकि आज तक कभी उसने कोई गलत काम नहीं किया था और इतनी कठिन परिस्थिति में भी उसके पिताजी ईमानदारी की मूरत है ए बात उन्होंने सिद्ध की और उन्होंने झूठ बोलने की कोशिश भी नहीं की। गलती स्वीकार करके उन्होंने बेटे को बचाने का प्रयत्न किया, लेकिन इसके लिए उसे झूठ बोलने की आवश्यकता नहीं थी आपके फैसले से भले ही न्याय की जीत ना हुई हो, परंतु धर्म की जीत हुई है।

फिर न्यायाधीश अपने सहायको के हाथों से पितांबर के घर पर 1 महीने का राशन भिजवा देते हैं और पितांबर को उसकी योग्यता के अनुसार काम दिलवाते हैं। उसी दिन से विनोद घर पर रहता है। पितांबर के 2 साल के बच्चे की देखभाल करता है और सभी खुशी-खुशी रहने लगे।

Rahul Chopda

मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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