Akbar Birbal Hindi Story । अकबर बीरबल की कहानी

Akbar Birbal Hindi Story । अकबर बीरबल की कहानी

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Akbar Birbal Hindi Story । कमनसीब कपूरचंद

दिल्ली शहर में कपूरचंद नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। लोगों के बीच यह धारणा थी कि जो कोई भी सुबह कपूरचंद का मुंह देखता है उसका पूरा दिन खराब होता है। उस इन्सान को खाना तक नहीं मिलता!

इसके बारे में एक बार बादशाह Akbar को इसी बात का पता चला। उसे हुआ: हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कपूरचंद वास्तव में ऐसा हैं। अगली सुबह Akbar ने कपूरचंद को बुलवाया।

सम्राट जाग गया और जैसे ही वो शयनकक्ष से बाहर आये तो सामने ही कपूरचंद को देखा। उन्होंने उसका स्वागत किया। तभी वहां एक नौकरानी दौड़ी दौड़ी आई। उन्होंने कहा, “मालिक, बेगम साहिबा अचानक बीमार पड़ गई है। आपको बुला रही है।”

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सम्राट सीधे बेगम के कक्ष औऱ भागे तो वह जाके देखा तो। बेगम बुखार से काँप रही थी। उसने तुरंत चिकित्सक को बुलाया, इस दौड़ धाम में सुबह के दस बज गये थे। नाश्ता समय खत्म हो गया था।

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जब  Akbar हरम से बाहर आया और वहां एक मंत्री खड़ा था जो राज्य में महत्वपूर्ण काम के लिए उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। काम बहुत जरूरी होने के कारण अकबर उसके साथ राजदरबार में गया। वहां उन्होंने अन्य मंत्रियों के साथ काम पर चर्चा की। इसी बीच एक नौकरानी आई और बोली। “शहेंशा, हम आपके खाने का इंतज़ार कर रहे हैं।”

Akbar को बस एहसास हुआ कि खाने में बहुत देर हो चुकी है। वह खाने के लिए बैठ गया, लेकिन खाना ठंडा था। उसने रसोइया को बुलाया और धमकी दी, नई स्वादिष्ट रसोई बनाकर लाने का आदेश दिया। भूख, थकान और दौड़ने के कारण Akbar को पेट में ऐंठन होने लगी। उन्होंने चिकित्सक को बुलाया। चिकित्सक ने उसे आज बिना कुछ खाए पेट आराम करने को कहा।

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अकबर रात को बिस्तर पर लेटे हुए आज के पुरे दिन बारे में सोचने लगा। हुआ ये, आज सुबह कपूरचंद का मुंह देखने का ये है अंजाम! मेरे जैसे बादशाह को भी भूखा सोना पड़ा! यह आदमी शहर के लोगों के लिए खतरनाक है। उसने अधिकारी को बुलाया और आदेश दिया, “कपूरचंद को गिरफ्तार कर के उसे कल फांसी दे दो।”

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अधिकारी अगले दिन कपूरचंद को फांसी देने के लिए ले जा रहे थे। हुआ यूं कि उस समय बीरबल वहां से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही कपूरचंद उनके चरणों में गिर पड़े। उसने कहा, “पिताजी, मैं बिना किसी जुर्म के मारा जा रहा हूँ। मुझे बचाओ। ”

birbal सब कुछ जान लिया। फिर उन्होंने फांसी पर लटकाने से पहले क्या करना है, इसके निर्देश दिए। फांसी के फंदे पर चढ़ने से पहले अधिकारी ने कपूरचंद से पूछा, “आपकी आखिरी इच्छा क्या है?” कपूरचंद ने सम्राट से व्यक्तिगत रूप से मिलने की इच्छा व्यक्त की।

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उसी समय, सम्राट स्वयंम वह आ पहुंचे। कपूरचंद उनके चरणों में गिर पड़े और बोले, “जहाँपनाह, तुमने सुबह मेरा मुँह देखा, इसलिए तुम्हें संकट में पड़ना पड़ा, लेकिन आप मेरे बारे में तो सोचो। मैंने भी तो सुबह आपका मुँह देखा। आपको सारा दिन भूखा रहना पड़ा, लेकिन मुझे अपनी जान गंवानी पड़ी। मालिक आपका चेहरा देखने वाले की तो किस्मत खुल जानी चाहिये, बल्कि… अगर मुझे फांसी दी गई तो लोग क्या कहेंगे?”

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अकबर एकदम से सोच मे पड़ गये। उसने उसे सजा से मुक्त कर दिया। फिर मुस्कुराते हुए उन्होंने पूछा, “कपूरचंद, सच कहना, ऐसा कहने के लिए birbal ने आपको सिखाया था ना”

कपूरचंद ने कहा हां। उसने राजा को स्वयं को मुक्त करने के लिए धन्यवाद दिया।

Conclusion: हेलो दोस्तों आपने इस Akbar Birbal Hindi Story और akbar birbal ki kahani को पढ़ा होगा उम्मीद करता हु आपको ये akbar and birbal stories in hindi पसंद आयी होगी, आपको ये akbar ki kahani और birbal ki kahani कैसी लगी उसे comment के जरिये हमें जरूर बताये| धन्यवाद, आपका दिन मंगलमय हो।

Rahul Chopda

मुझे पढ़ना और लिखना बहुत पसंद है। मुझे सूचनात्मक विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मुझे कहानी लेखन, कविता और कुछ कविताओं को लिखने में गहरी रुचि है।

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