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Toggleबच्चों के लिए नैतिक कहानियाँ Moral stories in Hindi पीढ़ियों से बच्चे की नैतिक शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा रही हैं। नैतिक हिंदी कहानियाँ न केवल मनोरंजक हैं बल्कि बच्चे के चरित्र और व्यक्तित्व विकास पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं। वे ईमानदारी, दया, करुणा और दूसरों के प्रति सम्मान जैसे कई महत्वपूर्ण मूल्यों को विकसित करते हैं जो जीवन में बहुत आगे तक जाते हैं।
जैसे ही बच्चे इन New Short Moral Stories in Hindi 2023 कहानियों को सुनते हैं, वे जीवन के मूल्यवान सबक सीखते हैं जिन्हें वे व्यावहारिक रूप से अपने जीवन में लागू कर सकते हैं। ये Moral Stories in Hindi for kids कहानियाँ उन्हें अपना जीवन अधिक आसानी से जीने में मदद करती हैं। चुनने के लिए कहानियों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ, माता-पिता ऐसी कहानियों का चयन कर सकते हैं जो न केवल उम्र-उपयुक्त हों बल्कि उन मूल्यों को भी सुदृढ़ करें जो वे अपने बच्चे को सिखाना चाहते हैं। ये कहानियाँ उन्हें अपने बच्चों को समाज का आदर्श नागरिक बनाने में मदद करेंगी जो जानवरों और मनुष्यों दोनों के प्रति दयालु हैं।
इस लेख में, हमने बच्चों के लिए आकर्षक और सार्थक नैतिक कहानियाँ चुनी हैं जो उन्हें मूल्यवान सबक सिखा सकती हैं और बेहतर इंसान बनने में मदद कर सकती हैं।
100 Best Moral Stories in Hindi for Kids
1. शेर और चूहा की कहानी - Moral Stories in Hindi
एक शेर जंगल में आराम से सो रहा था, तभी एक चूहा शेर पर उछल कूद करने लगा। शेर की नींद टूट गई और वह गुस्से से जाग उठा। शेर चूहे को खाने ही वाला था कि चूहे ने उससे जाने देने की विनती की। और शेर से कहा “मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, अगर आप मुझे अभी छोड़ देंगे तो मैं भविष्य में आपकी बहुत मदद करूंगा।” शेर चूहे के आत्मविश्वास पर हँसा और उसे छोड़ दिया।
एक दिन शिकारियों का एक समूह जंगल में पहुंचा और शेर को पकड़ लिया। उन्होंने उसे एक पेड़ से बांध दिया। बाहर निकलने के लिए संघर्ष करते हुए शेर दहाड़ने लगा। उसी वख्त चूहा वहां से गुजर रहा था और उसने शेर को परेशानी में देखा। वह शेर को छुड़ाने के लिए रस्सियों को काटने लगा और दोनों तेजी से जंगल में भाग गए।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है की हमें हमेशा एक दूसरे के प्रति दयालु रहना चाहिये।
2. भेड़िया और सारस की कहानी - Moral Stories in Hindi
एक दिन एक भेड़िया उस जानवर का मांस खा रहा था जिसे उसने मार डाला था। उसके गले में एक छोटी सी हड्डी फंस गई और वह उसे निगल नहीं पा रहा था। जल्द ही उसे अपने गले में तेज दर्द महसूस होने लगा और वह इसे कम करने का रास्ता ढूंढने की कोशिश में ऊपर-नीचे दौड़ने लगा। उसने जिसे भी देखा उससे उसकी मदद करने की विनती की। आख़िरकार भेड़िये का एक सारस से आमना-सामना हो गया।
“कृपया मेरी मदद करें,” भेड़िये ने विनती की। तुम जो चाहोगे वो मैं तुम्हें दूंगा।
सारस उसे एक शॉट देने के लिए सहमत हो गई और भेड़िये को निर्देश दिया कि वह अपने जबड़े को जितना संभव हो उतना फैलाकर उसकी तरफ लेट जाए। फिर सारस ने अपनी लंबी गर्दन भेड़िये के गले में डाल दी और हड्डी बाहर खींच ली। फिर सारस ने अपना इनाम मांगा।
“खुश रहो,” भेड़िये ने मुस्कुराते हुए और अपने दाँत दिखाते हुए कहा। आपने अपना सिर भेड़िये के मुँह में डाला है और फिर उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया है।
3. लोमड़ी और सारस की कहानी - Best Moral Stories for kids in Hindi
एक स्वार्थी लोमड़ी ने एक बार एक सारस से रात के खाने के लिए पूछा। निमंत्रण से सारस बहुत प्रसन्न हुआ और वह रत को लोमड़ी के घर पहुँचा और अपनी लंबी चोंच से दरवाजा खटखटाया। लोमड़ीने दरवाजा खोला और उसे अपने घर के अंदर ले गई और खाने के लिए बैठ गये। लोमड़ीने खाने में सूप बनाया था। लोमडीने जान बूझकर सूप उथले कटोरे मे पीरसा क्योंकि सारस की चोंच लंबी होने के कारण वो सूप ना पी सके। अब सारस सूप नहीं पी पा रहा था क्योंकि कटोरा उसके लिए बहुत उथला था। दूसरी ओर, लोमड़ी ने जल्दी से अपना सूप पी लिया।
यह देखकर सारस को बहोत गुस्सा आया, लेकिन उसने यह नहीं दिखाया। उसने लोमड़ी को सबक सिखाने के लिए अगले दिन खाने का निमंत्रण दिया। लोमड़ी सारस के घर खाना खाने के लिए पहुंच गई। सारस ने भी खाने में सूप बनाया था। उसने दो लम्बे पतले फूलदानों में सूप परोसा ताकि लोमड़ी सूप ना पी सके और लोमड़ी को सबक सीखा सके। सारस ने फूलदान से सूप पी लिया, लेकिन लोमड़ी अपनी छोटी गर्दन के कारण लम्बे पतले फूलदान से सूप ना पी सकी। लोमड़ी को एहसास हुआ कि उसने सारस के साथ बहोत गलत किया था और उसने सारस से माफ़ी मांगी।
4. दुखों से मुक्ति - Famous Hindi Short Stories
एक दिन भगवान बुद्ध एक गांव में उपदेश दे रहे थे। वहां पर एक सबसे धनवान व्यक्ति भी उपदेश सुन रहा था। वह भगवान बुद्ध से एक सवाल पूछना चाहता था, लेकिन सबके सामने सवाल पूछने में संकोच कर रहा था, क्योंकि उसकी गांव में बड़ी प्रतिष्ठा थी। सवाल ऐसा था, कि उसकी प्रतिष्ठा दांव पर लग सकती थी।
जब उपदेश खत्म हो गया तो सब लोग चले गए तब उसने बुद्ध के सामने हाथ जोड़कर सवाल पूछा- हे प्रभु मेरे पास सब कुछ है- धन,दौलत, प्रतिष्ठा किसी भी चीज की कोई कमी नही है, लेकिन मुझे ख़ुशी नहीं मिल रही, खुश रहने के लिए क्या करू?
मैं जानना चाहता हूं कि हमेशा खुश कैसे रह सकते है।
यह सुनकर भगवान बुद्ध ने उसे कहा सामने जो बड़ा पत्थर पड़ा है उसे उठा लो और मेरे साथ चलो।
थोड़ा आगे चलने के बाद उस व्यक्ति के हाथ मे दर्द होने लगा, लेकिन वह चुप चाप चलता रहा। थोड़ा ओर आगे चलने के बाद उसे ओर ज्यादा दर्द होने लगा और बुद्ध से कहा – मेरे हाथ मे बहुत दर्द हो रहा है।
तब बुद्ध ने बताया कि यही “खुश रहने का राज” है।
उस व्यक्ति को कुछ समझ नही आया।
बुद्ध बोले – तुम जब तक इस पत्थर को जितने समय तक हाथ मे रखोगे, तब तक दर्द होगा। इसी प्रकार दुख के बोझ को जितनी देर तक हम पकड़ कर रखेंगे, तब तक हम दुखी और निराश रहेंगे।
यदि हम खुश रहना चाहता है तो उसे दुख के पत्थर को जल्द से जल्द नीचे रखना सीखना होगा।
मित्रो, हम सब यही करते है, अपने जीवन मे दुख को पकड़कर रखते है।
दुखो से मुक्ति पाना तभी सम्भव है जब हम दुख के बोझ को अपने मन से जितना हो सके उतना जल्दी निकाल दे और बड़ी बड़ी इच्छाओं से मुक्त होकर, या जो है उसी में खुश रहें।
याद रखिये, हर एक पल अपने आप में नया है और जो पल बीत चुका है उसकी कड़वी यादों को मन मे संजोकर रखने से बेहतर है कि, हम अपने वर्तमान के एक एक क्षण को आनंद में जिये।
5. चींटी और कबूतर की कहानी - Short Story in Hindi
एक समय की बात है। पेड़ पर से एक चींटी तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उसे अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश करते हुए देखा। उसने पत्ते को थोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया। चींटी झट से पत्ते पर चढ़ गई और बड़ी कृतज्ञता भरी नजरों से उसने कबूतर का धन्यवाद किया। वह बहुत थक गई थी।
कुछ सप्ताहो बाद की बात है। एक बहेलिया जंगल में आया – बहेलियों का तो काम ही होता है पक्षियों को पकड़ना। उसने कुछ दाने जमीन पर फेंके और उस पर अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था।
वे चींटी – जो वहीं कहीं से गुजर रही थी उसने जब वह सारी तैयारी देखी – तो क्या देखती है कि वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी – उड़ कर उसी जाल में फंसने के लिए धीरे-धीरे नीचे उतर रहा था। चींटी ने एक दम आगे बढ़ बहेलिये के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया कि बहेलिये के मुंह से चीख निकल गई “औह – – – – तेरी ऐसी की तैसी हाय…. ओह परमात्मा।
कबूतर ने एक दम देखा शोर किधर से आ रहा है और बहेलिये को देखते ही सब कुछ उसकी समझ में आ गया। वह दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गई। चींटी भी अप ने काम पर चल दी। तभी तो कहते हैं कर भला सो हो भला!
6. बंदर और मगरमच्छ की कहानी - Moral Stories in Hindi
नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था। उस पेड़ पर एक बंदर रहता था। उसकी दोस्ती नदी में रहने वाले एक मगरमच्छ से हो गई।
मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर बंदर नदी की सैर करता। बंदर बदले में मगरमच्छ को जामुन खिलाता और उसकी पत्नी के लिए भी जामुन भेजता।
जामुन खाकर मगरमच्छ की पत्नी की इच्छा बंदर का कलेजा खाने की हुई।
उसने मगरमच्छ को कहकर बंदर को अपने घर बुलवाया। घर जाते समय मगरमच्छ ने बंदर को सच बता दिया कि उसकी पत्नी बंदर का कलेजा खाना चाहती है।
यह सुनकर बंदर मगरमच्छ की चाल समझ गया और उसने मगर से कहा, भैया मैं तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया हूं इसलिए जल्दी से मुझे पेड़ पर ले चलो।
बंदर की बात सुनकर मगरमच्छ पेड़ की तरफ मुड़ गया और जैसे ही मगरमच्छ पेड़ के पास पहुंचा, बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और उसकी जान बच गई।
7. लालची शेर की कहानी - lalchi sher ki moral story in hindi
बहुत दिनों पुरानी बात है। जंगल मे एक गुफा थी उस गुफा में एक शेर रहता था। एक दिन उसे बहुत भूख लगी। वो गुफा के आसपास किसी जानवर की तलाश करने लगा।
बहुत देर तक तलाश करने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे एक खरगोश दिखाई दिया। वो उस पेड़ की छाया में खेल रहा था।
मजे ले रहा था। शेर खरगोश को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा। खरगोश ने शेर को अपनी ओर आते देखा और बचने के लिए भागने लगा।
शेर ने उसका पीछा किया और उसे दबोच लिया। खरगोश डर गया। पर जैसे ही शेर ने खरगोश को मारने के लिए पंजा उठाया उसी वक्त उसकी नजर हिरण पर पड़ी।
उसने सोचा इस नन्हे खरगोश से मेरा पेट क्या भरेगा? इसे मार से क्या फायदा। उसका पेट तो बड़ी सी हिरन ही भर सकेगी। शेर ने खरगोश को छोड़ दिया और वो हिरण के पीछे जा निकला।
हिरण ने शेर को देखा तो जोर-जोर से छलांग लगाता हुआ भागने लगा। हिरन आगे, शेर पीछे बहुत देर तक यही सिलसिला चलता रहा।
शेर हिरन को नहीं पकड़ सका। उसके पीछे भागते-भागते शेर बहुत थक चुका था। अंत में शेर ने हिरन का पीछा करना छोड़ दिया। खरगोश भी हाथ से गया और हिरण भी नहीं मिली।
अब शेर खरगोश को छोड़ देने के लिए पछताने लगा और वह भूखा ही रहा।