बहुत समय पहले गुजरात के एक छोटे से गाँव में एक चरवाहा रहता था। वह प्रतिदिन गायों को अपने गांव के पास के जंगल में चराने ले जाता था। वह हमेशा झूठ बोलता था और खूब मजाक करता था।
एक दिन जब वह गायें चरा रहा था तो उसे गांव वालों का मजाक उड़ाने का मन हुआ और जोर से चिल्लाया बचाओ…बचाओ… बाघ आ गया बाघ आ गया।
गाँव वाले उसे बचाने के लिए अपना सारा काम छोड़कर लाठी-डंडे लेकर उसकी ओर दौड़ पड़े। चरवाहे के पास पहुंचने पर गांव के लोगो ने देखा कि बाघ नहीं है.
गांव के लोगों ने चरवाहे से पूछा, बाघ कहां है? चरवाहा जोर-जोर से हंसने लगा और बोला मैं मजाक कर रहा था, यहां कोई बाघ नहीं आया है।
चरवाहे के इस गंदे मजाक पर लोग बहुत क्रोधित हुए और फिर अपने-अपने घर लौट गए। वह रोज कोई न कोई बहाना बनाकर चिल्लाता और लोग उसे बचाने आते और गुस्से में वापस चले जाते। इसी तरह वह चरवाहा कई दिनों तक गांव के लोगों को परेशान करता रहा। गांव के लोग भरवाड से बहुत तंग आ चुके थे.
एक दिन चरवाहा हमेशा की तरह अपनी गायें चरा रहा था तभी अचानक उसके सामने एक असलमे बाघ आ गया।
उसने देखा कि बाघ उसकी ओर आ रहा है जिससे चरवाहा बहुत डर गया और देखते ही देखते उसने मदद के लिए गांव वालों को बहुत जोर से चिल्लाया, बचाओ-बचाओ, बाघ सचमुच आ गया है, मैं मजाक नहीं कर रहा हूं।
गांव वालों को लगा कि वह हमेशा की तरह झूठ बोल रहा है. तो गांव का कोई व्यक्ति उसे बचाने नहीं गया।
अंततः बाघ ने चरवाहे को मार डाला। गायें वहां से भाग गईं। जब रात हुई तो लोगों ने देखा कि चरवाहा अभी तक घर नहीं आया है। तभी गांव के लोग एकत्र होकर उसे ढूंढने जंगल की ओर निकल पड़े। एक आदमी ने चरवाहे को देखा, वह जोर से चिल्लाया.., सभी लोग उस आदमी के पास पहुंचे और वहां लोगों ने देखा कि चरवाहा मर चुका था।
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें उतना ही मजाक करना चाहिए जितना सामने वाले को पसंद हो और कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। अगर वह चरवाहा रोज झूठ बोलकर लोगों को परेशान न करता तो जरूरत के वक्त चिल्लाने पर गांव के लोग जरूर आ जाते, जिससे उसकी जान बच जाती।